Kanyakubj Brahmins

‘परिवर्तनि संसारे’ नवकलेवर उत्सव एवं रथ यात्रा

जगन्नाथ पुरी का देवालय ही सम्भवतः ऐसा एक स्थान है जहां कृष्ण अपने भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ पूजे जाते हैं हैं। सुभद्रा, देवकी और वसुदेव की पुत्री थीं तथा दोनों भाईयों को अत्यांत प्रिय थीं। बलराम, सुभद्रा का प्रववाह अपने प्रिय शिष्य दुयोधन से करना चाह रहे थे जब कक कृष्ण अपने प्रिय सखा अर्जुन को अपना बहनोई बनाना चाहते थे। सुभद्रा भी कृष्ण के ननणुय के पक्ष में थीं। कृष्ण की मांत्रणा से अर्जुन सुभद्रा को अपने रथ पर बैठा कर द्वारका से निकल गये। इस तथाकथथत अपहरण से यादवों में बड़ा रोष उपजा; परंतु कृष्ण के समझाने पर सभी यादव सुभद्रा को वापस द्वारका ले आये और बाद में बहुत साज-सम्मान के साथ स्वयं बलराम और कृष्ण सुभद्रा को लेकर कुांती के पास पहुांचे। कुांती ने बड़े प्रेम से सुभद्रा को अर्जुन की भार्या के रूप में स्वीकार क्या। कुंती, बलराम और कृष्ण की बुआ भी थीं।

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