Kanyakubj Brahmins
A Very Important Thought
चिरौटे का विरह गान
एक दिन सुबह-सुबह बेड टी देते पत्नी ने विभोर होते हुए कहा, देखो दो एक रोज़ से सुबह सुबह एक गौरय्या कितने मीठे सुर में गा रही है।
गरमा गरम चाय के दो सिप लेने को बाद चेतन होकर ध्यान दिया तो वास्तव में एक गौरय्या बड़े मधुर सुर में बोल रही थी। खैर यह मधुर अनुभूति की समझ शायद शुष्क हृदय चिकित्सक को ज़्यादा देर मोहित नहीं कर पाई और मैं अपने काम में लग गया। चिड़िया का मधुर स्वर मुझे रोज़ सुबह सुनाई पड़ता। अवकाश के दिन जब मैं पूरे दिन घर रहा तो वह गौरय्या स्वर मुझे दोपहर तक सुनाई पड़ता रहा। पता नहीं क्यों मुझे उसके गान में पीड़ा की अनुभूति हो रही थी। हम दोनों बाहर निकल कर उस गौरय्या को देखने निकले। आजकल गौरय्या वैसे भी घरों में दुर्लभ है। माँ कहती थी वह घर मनहूस होता है जहां गौरय्या नहीं आती। मेरे यहाँ यह दो तीन दिन से गाना सुना रही है, इसी से हम प्रफुलित थे।
बरामदे में आ कर देखा की एक छोटी सी दराज में एक चिरौटा बैठा बोल रहा है। बार बार उड़ कर बाहर अमरूद के पेड़ पर, बिजली के तार पर या नीम के पेड़ पर जा बैठता, उसके बाद फिर से उसी दराज़ में आकर गाने लगता। मैंने पत्नी से कहा “चिरौटे ने घर ढूंढ लिया है और अब घर बसाने के लिए साथी को आमंत्रित कर रहा है।
पत्नी ने चारों ओर देखते हुए कहा यहाँ आस पड़ोस तो कोई चिड़िया नज़र नहीं आ रही है।
एका-एक मुझे चिरौटे के गान में पीड़ा का कारण समझ आ गया। मैंने पत्नी से बताया तो वह हँसते हुए बोली आप चिड़ियों कि भाषा भी समझते है?
हाँ नर होने के कारण चिरौटे कि विरह वेदना मैं अनुभव कर सकता हूँ। बिचारे को जोड़ा बनाने के लिए साथी नहीं मिल रही है; यही वेदना इसके स्वर में छलक रही है’। इसका कारण शायद यह है कि अब गौरय्यों की संख्या इतनी कम हो गई कि इसको जोड़ा नहीं मिल रहा है।
पत्नी ने चिन्तित होते कहा ऐसे तो यह प्रजाति ही लुप्त हो जाएगी।
गौरय्या तो आज कल पेड़ कटने और आधुनिक घरों में घरौंधा न मिलने के कारण अपने आप नष्ट हो रही हैं। पर हम लोगों मे कन्या भ्रूण- हत्या के कारण लड़कियों कि संख्या भी अगर इसी प्रकार कम होती रही तो आदम कि संतानें भी इसी चिरौटे की तरह तड़पेगीं और सम्पूर्ण मानव प्रजाति भी नष्ट हो सकती है!
अब पत्नी की आँखें अनहोनी की चिंता से व्याकुल हो रहीं थी।